mai na likh sakun
ab kuch uske siwa
jub se hogaya hai
vo her ansar mera
zamana konsa hai
kuch yaad na raha
koi na jaan paaya
pehchan ka ye silsila
na jaa lafzon pe mere
inme bhi hai teri ada
derd duniya ke they
mere hosh ki dawa
zindagi zyaan hi gaii
gila taumr khud se raha
tujh se meri nazar
badi dair se mili
ek daur aarzi
madhoshion may cut gaya
banaye rishton ke ihaate
khud ko aseer unka kiya
khudgharzion ke jharoke bane
her rishta waan se nikal gaya
haasil murad koi na hui
kahin koi kamaal na hua
zindagi deewangi ki nazar hogai
tere khyaal ke siwa kya hai mera
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दिगांबेर नस्वा जी
आपकी इचा अनुसार ये रचना देवनागरी मे....
मई ना लिख सकूँ
अब कुछ उसके साइवा
जुब से होगआया है
वो हेर अंसार मेरा
ज़माना कॉन्सा है
कुछ याद ना रहा
कोई ना जान पाया
पहचान का ये सिलसिला
ना जेया लफ़्ज़ों पे मेरे
इनमे भी है तेरी अदा
दर्द दुनिया के थे
मेरे होश की डॉवा
ज़िंदगी ज़यां ही गाइ
गीला तोम्र खुद से रहा
तुझ से मेरी नज़र
बड़ी दायर से मिली
एक दौर आरज़ी
मदहोशीोन मे कट गया
बनाए रिश्तों के इहाते
खुद को असीर उनका किया
ख़ुद्घारज़िओं के झरोके बने
हेर रिश्ता वाँ से निकल गया
हासिल मुराद कोई ना हुई
कहीं कोई कमाल ना हुआ
ज़िंदगी दीवानगी की नज़र होगआई
तेरे ख्याल के साइवा क्या है मेरा
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